महावतार बाबाजी एक प्रसिद्ध धार्मिक गुरु और योगी है| जिनको परमहंस योगानंद जी ने अपनी आत्मकथा में बड़े सम्मान और श्रद्धा के साथ प्रस्तुत किया है| उनकी मुख्य बातें और उद्देश निम्नलिखित हैं|
- आत्मज्ञान
महावतार बाबाजी की मुख्य बातें आत्मज्ञान और आत्मसाक्षात्कार के प्रति थी| उनका उपदेश था कि हमें अपनी आत्मा की गहराई की पहचान करनी चाहिए क्योंकि, यहां हमारी मुक्ति और आंतरिक शांति का मूल है|
- प्रेम
बाबाजी प्रेम को महत्वपूर्ण मानते थे| उनका कहना था कि प्रेम से ही हमारी आत्मा परमात्मा के प्रति समर्पित होती हैं|
- साधन
बाबा जी ने साधन और ध्यान के महत्व को हमेशा बल दिया| वे कहते थे कि नियमित साधना और ध्यान से ही आत्मा को शांति मिलती है और परमात्मा के साथ मिलन होता है|
- एकाग्रता
बाबाजी का मानना था कि एकाग्रता से ही हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं, चाहे वह कोई भी हो|
- संयम
वे संयम पर इंद्रिय निग्रह को महत्व देते थे| क्योंकि यह आत्मा के विकास में मदद करती है|
- सेवा
बाबा जी ने सेवा को भी महत्व दिया| वे कहते थे कि दूसरों की सेवा करके हम परमात्मा की ओर बढ़ सकते हैं|
- निष्काम कर्म
उनका उपदेश था कि कर्मों को निष्काम रूप से करना चाहिए, अर्थात किसी भी प्रतिक्रिया की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए|
- योग
महावतार बाबाजी ने योग और आत्मा के परमात्मा से मिलन को प्रशंसा दी| वे कहते थे कि योग के माध्यम से हम अपनी आत्मा को परमात्मा के साथ एक कर सकते हैं|
- गुरु की महिमा
वह गुरु की महिमा को भी महत्व देते थे और गुरु के मार्गदर्शन के बिना आत्मा की ऊंचाइयां प्राप्त नहीं की जा सकती, इसलिए गुरु की शरण लेनी चाहिए|
- सर्वधर्म समभाव
बाबा जी ने सर्व धर्म संभव और सभी धर्मों को सम्मान देने का संदेश दिया| उनका कहना था कि सभी धर्म एक ही परमात्मा की ओर जाते हैं|
यह मदार बाबा जी के मुख्य उद्देश्य हैं, जिन्हें उन्होंने अपने शिष्यों को दिया था| उनका जीवन और उपदेश का आज भी आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले लोगों पर प्रभाव है|